श्रीललिता त्रिपुरसुन्दरी अपराधक्षमापणस्तोत्रम्

श्रीललिता त्रिपुरसुन्दरी अपराधक्षमापणस्तोत्रम्

श्रीगणेशाय नमः । ॐ क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं श्रीं । ॐ कञ्जमनोहर पादचलन्मणि नूपुरहंस विराजिते कञ्जभवादि सुरौघपरिष्टुत लोकविसृत्वर वैभवे । मञ्जुळवाङ्मय निर्जितकीर कुलेचलराज सुकन्यके पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ १॥ एणधरोज्वल फालतलोल्लस दैणमदाङ्क समन्विते शोणपराग विचित्रित कन्दुक सुन्दरसुस्तन शोभिते । नीलपयोधर कालसुकुन्तल निर्जितभृङ्ग कदम्बके पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ २॥ ईतिविनाशिनि भीति निवारिणि दानवहन्त्रि दयापरे शीतकराङ्कित रत्नविभूषित हेमकिरीट समन्विते । दीप्ततरायुध भण्डमहासुर गर्व निहन्त्रि पुराम्बिके पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ ३॥ लब्धवरेण जगत्रयमोहन दक्षलतान्त महेषुणा लब्धमनोहर सालविषण्ण सुदेहभुवापरि पूजिते । लङ्घितशासन दानव नाशन दक्षमहायुध राजिते पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ ४॥ ह्रीम्पद भूषित पञ्चदशाक्षर षोडशवर्ण सुदेवते ह्रीमतिहादि महामनुमन्दिर रत्नविनिर्मित दीपिके । हस्तिवरानन दर्शितयुद्ध समादर साहसतोषिते पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ ५॥ हस्तलसन्नव पुष्पसरेक्षु शरासन पाशमहाङ्कुशे हर्यजशम्भु महेश्वर पाद चतुष्टय मञ्च निवासिनि । हंसपदार्थ महेश्वरि योगि समूहसमादृत वैभवे पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ ६॥ सर्वजगत्करणावन नाशन कर्त्रि कपालि मनोहरे स्वच्छमृणाल मरालतुषार समानसुहार विभूषिते । सज्जनचित्त विहारिणि शङ्करि दुर्जन नाशन तत्परे पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ ७॥ कञ्जदळाक्षि निरञ्जनि कुञ्जर गामिनि मञ्जुळ भाषिते कुङ्कुमपङ्क विलेपन शोभित देहलते त्रिपुरेश्वरि । दिव्यमतङ्ग सुताधृतराज्य भरे करुणारस वारिधे पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ ८॥ हल्लकचम्पक पङ्कजकेतक पुष्पसुगन्धित कुन्तले हाटक भूधर श‍ृङ्गविनिर्मित सुन्दर मन्दिरवासिनि । हस्तिमुखाम्ब वराहमुखीधृत सैन्यभरे गिरिकन्यके पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ ९॥ लक्ष्मणसोदर सादर पूजित पादयुगे वरदेशिवे लोहमयादि बहून्नत साल निषण्ण बुधेश्वर सम्युते । लोलमदालस लोचन निर्जित नीलसरोज सुमालिके पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ १०॥ ह्रीमितिमन्त्र महाजप सुस्थिर साधकमानस हंसिके ह्रीम्पद शीतकरानन शोभित हेमलते वसुभास्वरे । हार्दतमोगुण नाशिनि पाश विमोचनि मोक्षसुखप्रदे पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ ११॥ सच्चिदभेद सुखामृतवर्षिणि तत्त्वमसीति सदादृते सद्गुणशालिनि साधुसमर्चित पादयुगे परशाम्बवि । सर्वजगत् परिपालन दीक्षित बाहुलतायुग शोभिते पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ १२॥ कम्बुगळे वर कुन्दरदे रस रञ्जितपाद सरोरुहे काममहेश्वर कामिनि कोमल कोकिल भाषिणि भैरवि । चिन्तितसर्व मनोहर पूरण कल्पलते करुणार्णवे पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ १३॥ लस्तकशोभि करोज्वल कङ्कणकान्ति सुदीपित दिङ्मुखे शस्ततर त्रिदशालय कार्य समादृत दिव्यतनुज्वले । कश्चतुरोभुवि देविपुरेशि भवानि तवस्तवने भवेत् पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ १४॥ ह्रीम्पदलाञ्चित मन्त्रपयोदधि मन्थनजात परामृते हव्यवहानिल भूयजमानक खेन्दु दिवाकररूपिणि । हर्यजरुद्र महेश्वर संस्तुत वैभवशालिनि सिद्धिदे पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ १५॥ श्रीपुरवासिनि हस्तलसद्वर चामरवाक्कमलानुते श्रीगुहपूर्व भवार्जित पुण्यफले भवमत्तविलासिनि । श्रीवशिनी विमलादि सदानत पादचलन्मणि नूपुरे पालय हे ललितापरमेश्वरि मामपराधिनमम्बिके ॥ १६॥ ॥ इति श्रीललितात्रिपुरसुन्दरी अपराधक्षमापणस्तोत्रं सम्पूऱ्णम् ॥ Encoded by V. Gopalakrishnan vgk at igcar.ernet.in
% Text title            : tripurasundarI aparAdha kShamApaNa stotram
% File name             : tripurasundarIaparAdhakShamApana.itx
% itxtitle              : lalitA tripurasundarI aparAdhakShamApaNastotram
% engtitle              : lalitA tripurasundarI aparAdhakShamApaNa stotram
% Category              : aparAdhakShamA, devii, dashamahAvidyA, lalitA, devI, panchadashI
% Location              : doc_devii
% Sublocation           : devii
% SubDeity              : dashamahAvidyA
% Subcategory           : lalita
% Language              : Sanskrit
% Subject               : hinduism/religion
% Transliterated by     : V. Gopalakrishnan vgk at igcar.ernet.in
% Proofread by          : V. Gopalakrishnan and his father who is a Sanskrit scholar.
% Description-comments  : A Hymn of worship to Goddess Tripurasundari
% Latest update         : December 27, 2022
% Send corrections to   : (sanskrit at cheerful dot c om)
% Site access           : https://sanskritdocuments.org

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