श्रीराजराजेश्वर्यष्टकम्

श्रीराजराजेश्वर्यष्टकम्

अंबाष्टकम् ॥ अथ श्रीराजराजेश्वर्यष्टकम् ॥ अम्बा शाम्भवि चन्द्रमौलिरबलाऽपर्णा उमा पार्वती काली हैमवती शिवा त्रिनयनी कात्यायनी भैरवी । सावित्री नवयौवना शुभकरी साम्राज्यलक्ष्मीप्रदा चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ १॥ अम्बा मोहिनी देवता त्रिभुवनी आनन्दसंदायिनी वाणी पल्लवपाणिवेणुमुरलीगानप्रिया लोलिनी । कल्याणी उडुराजबिम्ब वदना धूम्राक्षसंहारिणी चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ २॥ अम्बा नूपुररत्नकङ्कणधरी केयूरहारावली जातीचम्पकवैजयंतिलहरी ग्रैवेयकैराजिता । वीणावेणुविनोदमण्डितकरा वीरासने संस्थिता चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ ३॥ अम्बा रौद्रिणि भद्रकालि बगला ज्वालामुखी वैष्णवी ब्रह्माणी त्रिपुरान्तकी सुरनुता देदीप्यमानोज्वला । चामुण्डा श्रितरक्षपोषजननी दाक्षायणी वल्लवी चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ ४॥ अम्बा शूलधनुः कुशाङ्कुशधरी अर्धेन्दुबिम्बाधरी वाराहीमधुकैटभप्रशमनी वाणी रमासेविता । मल्लाद्यासुरमूकदैत्यमथनी माहेश्वरी चाम्बिका चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ ५॥ अम्बा सृष्टिविनाशपालनकरी आर्या विसंशोभिता गायत्री प्रणवाक्षरामृतरसः पूर्णानुसंधी कृता । ओङ्कारी विनतासुतार्चितपदा उद्दण्ड दैत्यापहा चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ ६॥ अम्बा शाश्वत आगमादिविनुता आर्या महादेवता या ब्रह्मादिपिपीलिकान्तजननी या वै जगन्मोहिनी । या पञ्चप्रणवादिरेफजननी या चित्कला मालिनी चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ ७॥ अम्बापालितभक्तराजदनिशं अम्बाष्टकं यः पठेत् अम्बालोलकटाक्षवीक्ष ललितं चैश्वर्यमव्याहतम् । अम्बा पावनमन्त्रराजपठनादन्ते च मोक्षप्रदा चिद्रूपी परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ ८॥ छन्दःपादयुगा निरूक्तासुनखा शिक्षासुजङ्घायुगा ऋग्वेदोरूयुगा यजुर सुजधनां या सामवेदोदरा । तर्कावित्तिकुचा श्रुति स्मृतिकरा काव्यरविन्दानना वेदान्तामृत लोचना भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ ९॥ अम्बा शाङ्करी भारद्वाजगमनी आर्या भवानीश्वरी या अम्बा महिषासुरप्रमथिनी वाक्चातुरी सुन्दरी । दुर्गाख्या कमला निशुम्भ दमनी दुर्भाग्य विच्छेदिनी चिद्रुपा परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ १०॥ अम्बा श्यामल एकदन्तजननी अत्युन्नतिकारिणी कल्याणी व्रजराजपुत्रजननी कामप्रदा चन्द्रिका । पद्माक्षी त्रिदशेश्वरी सुरनता देदिप्यमानोज्वला चिद्रुपा परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ ११॥ या देवी शिवकेशवादि जननी या वै जगद्रुपिणी या ब्रह्मादिपि पीलीकान्त जगता मानन्दसन्दायिनी । या वै च प्रणवद् विरेफजननी या चित्कलामालिनी सा माया परदेवता भगवती श्रीराजराजेश्वरी ॥ १२॥ ॥ इति भक्तराजविरचितं श्रीराजराजेश्वर्यष्टकं सम्पूर्णम् ॥ Verses 1-8 are attributed to Shankaracharya. Verses 9-12 are found in different versions some giving authorship to bhaktarAja. The sequence of verse numbers is likely to be different. Eन्चोदेद् अन्द् प्रूफ़्रेअद् ब्य् ख़पिल षन्करन् Oच्तोबेर् २० १९९८
% Text title            : rAjarAjeshvaryaShTakam 1
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% Category              : aShTaka, devii, dashamahAvidyA, devI, shankarAchArya
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% Sublocation           : devii
% SubDeity              : dashamahAvidyA
% Author                : Shankaracharya
% Language              : Sanskrit
% Subject               : Devotional
% Transliterated by     : Kapila Shankaran Love kapilalove at gmail.com
% Proofread by          : Sowmya Ramkumar
% Latest update         : January 29, 1998, August 14, 2022
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